शेर-ओ-शायरी

 

     हरिचन्द अख्तर (Harichand Akhtar)

जिन्दगी बैठी थी अपने हुस्न पै फूली हुई,
मौत ने आते ही सारा रंग फीका कर दिया।
 

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तेरी दुनिया में सब्रो-शुक्र से हमने बसर कर ली,
तेरी दुनिया से बढ़कर अब तेरे दोजख में क्या होगा।

1.सब्रो-शुक्र- हर काम में धीरज धरना और ईश्वर को धन्यवाद देना

 2. दोजख - नरक, जहन्नुम।

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देखा मुझे तो फूट के रोया,
अब समझा, समझाने वाला।
 

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