शेर-ओ-शायरी

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यह मुस्कुराती हुई आंखें जिनमें रक्स करती है बहार,
शफक की, गुल की, बिजलियों की शोखियाँ लिये हुए।
फिराक' गोरखपुरी


1.रक्स - नृत्य 2.शफक - ऊषा, सबेरे या शाम की लालिमा जो छितिज पर दिखाई देती है

 

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यह साकी ने सागर में क्या चीज दे दी,
कि तौबा हुई पानी - पानी हमारी।
-रियाज खैराबादी


1.सागर - शराब पीने का पियाला, पान-पात्र


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रह गये लाखों कलेजा थामकर,
आंख जिस जानिब तुम्हारी उठ गई।
-मिर्जा दाग

 

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रात हम पिये हुए थे मगर, आप की आंखे भी शराबी थी,
फिर हमारे खराब होने में, आप ही कहिए क्या खराबी थी।
-नरेश कुमार 'शाद'


1.शराबी - नशीली, नशा पैदा करने वाली

 

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