शेर-ओ-शायरी

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इक नहीं मांगी खुदा से आदमीयत की रविश,
और हर शै के लिए बंदे दुआ करते रहे।


1. रविश- शैली, तर्ज, आचार-व्यवहार

 

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इन्सान की बदबख्ती अन्दाज से बाहर है,
कमबख्त खुदा होकर भी बंदा नजर आता है।


1.बदबख्ती - बदनसीबी, बदकिस्मती

 2.कमबख्त - अभागा, भाग्य का मारा, वदकिस्मत

 

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इलाही कैसे होते है जिन्हें है बंदगी की ख्वाहिश,
हमें तो शर्म दामनगीर होती है खुदा होते हुए।

-मीरतकी मीर

 

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कह दे ये कोई जाकर दुनिया के बागबाँ से ,
गुल मुतमइन नहीं हैं, तरतीबे-गुलिस्ताँ से।

-एहसन दानिश
 

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