शेर-ओ-शायरी

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कहने को यूँ जहाँ में हजारों हैं यार-दोस्त
मुश्किल के वक्त एक है, परवरदिगार दोस्त।

-असीर

 

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कुछ लोगों से जब तक मुलाकात न हुई थी
मैं भी यह समझा था, खुदा सबसे बड़ा है।

 

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खिरदमंदों से क्या पुछूँ कि मेरी इब्तिदा क्या है
कि मैं इस फिक्र में रहता हूँ मेरी इन्तिहा क्या है,
खुदी को कर बुलन्द इतना कि हर तकदीर से पहले
खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रजा क्या है?

-मोहम्मद इकबाल


1.खिरदमंद - बुद्धिमान, अक्लमंद 2.इब्तिदा - प्रारम्भ, आरम्भ, शुरूआत 3. इन्तिहा - अंत, आखिरी हद या छोर 4. रजा - इच्छा, तमन्ना, ख्वाहिश

 

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खुदा तौफीक देता है उन्हें जो यह समझते हैं,
कि खुद अपने ही हाथों से बना करती हैं तकदीरें।

-'अफसर' मेरठी


1.तौफीक - (i) दैव योग से ऐसे कारण पैदा हो जाना जिससे अभिलषित वस्तु की प्राप्ति में सुगमता हो, ईश्वर की कृपा, दैवानुग्रह (ii) सामर्थ्य, शक्ति (iii) योग्यता, पात्रता, अहलियत

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