अल्लाहरे उस शोख की रफ्तार का आलम,
हर लम्हा संभलता हुआ मैख्वार हो जैसे।
-जगन्नाथ आजाद
1.आलम-(i)हालत,स्थिति
(ii) दुनिया,जगत
2.मैख्वार-शराबी
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असर न
पूछिए साकी की मस्त आंखों का,
यह देखिये कि कोई होशमंद बाकी है।
-हफीज जौनपुरी
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आइने में हर अदा को देखकर कहते हैं
वो,
आज देखा जाइए, किस-किस की है आई हुई।
-अमीर मीनाई
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आ गया था उनके होठों पर तबस्सुम ख्वाब में,
वर्ना इतनी दिलकशी कब थी, शबे-माहताब में।
-अब्दुल हमीद 'अदम'
1.तबस्सुम- मुस्कान,मुस्कराहट
2 ख्वाब - स्वप्ना ,सपना
3. दिलकश- मनोहरता, मनोज्ञता,
सुन्दरता 4. शबे-माहताब -
चाँदनी रात
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