शेर-ओ-शायरी

नीरज जैन (Niraj Jain)

उसे तो पने गुलदस्ते की रौनक ही से मतलब है,
कहाँ गुलचीं के फुरसत है कि दर्दे-गुलसिताँ समझे।

1.
गुलचीं - फूल तोड़ने वाला माली
 

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खत्म कर देगी किसी दिन ये तमन्ना-ए-हयात,
रात-दिन कोशिश में जीने की मरा जाता हूँ मैं।
जिन्दगी के दाम इतने गिर गये कुछ गम नहीं,
मौत की बढ़ती हुई कीमत से घबराता हूँ मैं।

1.
हयात - जिन्दगी।

 

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