शेर-ओ-शायरी

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अगर अपने को फितरत का यह इंसां राजदाँ कर ले,
हर इक जर्रे से पैदा बेतकल्लुफ सौ जहां कर।

-निहाल सेहरारवी


1. फितरत - प्रकृति 2. राजदाँ - राज जानने वाला, राजदार,
3. जर्रा - कण, अणु, बहुत ही बारीक रेजा 4. बेतकल्लुफ - (i) घनिष्ट, अंतरंग, गहरा (ii) निःसंकोच

 

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अगर दर्दे-मुहब्बत से न इन्साँ आशना होता,
न मरने का अलम होता, न जीने का मजा होता।


1.आशना- परिचित,जानकार,वाकिफ 2.अलम- दुख, रंज, गम, क्लेश


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अजब आरजू है, अनोखी अदा है,
तुझी से तुझे माँगना चाहता हूँ।
-सिकन्दरअली वज्द
 

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अजल को दोष दें, तकदीर को रोयें, मुझे कोसें
मेरे कातिल का चर्चा क्यों है मेरे सोगवारों में।
-दाग


1. अजल - मृत्यु 2. सोगवारों - शोक करने वालों

 

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