शेर-ओ-शायरी

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गुल भी है अजीज, कांटे भी हैं अजीज,
वाकिफ नहीं तमीजे-बहारो-खिजाँ से हम।

-'असीर बीकानेरी


1. तमीज - अन्तर 2.खिजाँ - पतझड़ की ऋतु
 

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गुल भी अजीज हैं हमें, कांटे भी हैं अजीज,
वाकिफ नहीं तमीजे-बहारो-खिजां से हम।

-'असीर' बीकानेरी


1.तमीज - (i) विवेक, दो वस्तुओं में अंतर समझने की बुद्धि, पहचान, परख (ii) शिष्टता, सभ्यता, तहजीब


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गुलशन की आरजू में, गुलों की तलाश में,
कांटो से भी हुई है, मुझे रगबत कभी-कभी।

-असर अजमेरी


1.रगबत - (i) लगाव, दिलचस्पी (ii) इच्छा, अभिलाषा, चाह

 

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गुलों के साये में अक्सर 'रियाज' तड़पा हूँ,
करार कांटों पै कुछ ऐसा पा लियां मैंने।


-रियाज श्यामनगरी

 

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