हर खिजाँ के गुबार में हमने कारवाने
- बहार देखा है,
कितने पशमीनापोश जिस्मों में रूह को तारतार देखा है।
-अफसर मेरठी
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1.खिजाँ
- पतझड़ ऋतु
2.गुबार
-
धूल, रज, धुलि
3.कारवाने–बहार -
बहार का काफिला
4.पशमीनापोश
- बेहतरीन ऊनी कपड़ों में छिपे या लिपटे
5.तारतार
-
टुकड़े-टुकड़े, रेजा-रेजा
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हुए जो खूगरे-गम ऐश का उन पर असर क्या हो?
खुशी को वो खुशी समझें जो गम को गम समझते हैं।
-जोश मल्सियानी
1.खूगरे-गम
-
गम सहने के आदी
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हो दौरे-गम कि
अहदे-खुशी, दोनों एक हैं,
दोनों गुजश्तनी हैं, खिजां क्या, बहार क्या?
-त्रिलोक चन्द
'महरूम'
1.दौरे-गम
-
गमों का दौर 2.
अहदे-खुशी
-
खुशी का वक्त
3.गुजश्तनी
- बीत जाने वाला,गुजरने योग्य
4. खिजां
-
पतझड़ की ऋतु
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