कफस में खींच ले जाये मुकद्दर या नशेमन
में,
हमें परवाजे-मतलब है, हवा कोई भी चलती हो।
-सीमाब अकबराबादी
1.नशेमन - आशियाना, घोंसला, नीड़
2. परवाज - उड़ान
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कहाँ दूर हट के
जायें हम दिल की सरजमीं से,
दोनों जहाँ की सैरें हासिल है सब यहीं से।
-जिगर मुरादाबादी
1. सरजमीं - (i) पृथ्वी, जमीन (ii) देश,
मुल्क
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कांटों से घिरा
रहता है चारों तरफ से फूल,
फिर भी खिला ही रहता है, क्या खुशमजाज है।
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कारगाहे-हयात में
ऐ दोस्त यह हकीकत मुझे नजर आई,
हर उजाले में तीरगी देखी, हर अंधेरे में रौशनी पाई।
-जिगर मुरादाबादी
1. कारगाह - कार्यालय, काम करने का
स्थान
2. हयात -
जिन्दगी 3.तीरगी -
अंधेरा, अंधकार
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