वही इन्साँ जिसे सरताजे – मख्लूकात होना था,
वही अब सी रहा है अपनी अज्मत का कफन साकी।
-जिगर मुरादाबादी
1.सरताजे–मख्लूकात - सारी सृष्टि का शिरोमणि, संसार में जितनी
चीजें हैं, उनका स्वामी 2.अज्मत - (i) बड़प्पन, महानता , अहमीयत,
(ii) सम्मान, आदर, इज्जत
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सभी कुछ तो रहा
है इस तरक्की के जमाने में,
मगर यह क्या गजब है आदमी इंसाँ नहीं होता।
-खुमार बाराबंकवी
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हजारों नग्मा -ए-
दिलकश मुझे आता है ऐ बुलबुल,
मगर दुनिया की हालत देखकर चुप हो गया हूँ मैं।
-आसी उल्दानी
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हम अपने दिल के मुकामात से हैं बेगाने,
इसी में वरना हरम है, इसी में बुतखाने।
-शाद अजीमाबादी
1.मुकामात - स्थान, जगह, ठहरने का स्थान, घर, मकान 2. बेगाना-
अपरिचित,
अनजान 3.हरम - काबा, खुदा का घर
4. बुतखाना – मंदिर, मूर्तिगृह,
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