शेर-ओ-शायरी

<< Previous  विडम्बना ( Irony )  Next>>

वही इन्साँ जिसे सरताजे – मख्लूकात होना था,
वही अब सी रहा है अपनी अज्मत का कफन साकी।

-जिगर मुरादाबादी


1.सरताजे–मख्लूकात - सारी सृष्टि का शिरोमणि, संसार में जितनी

 चीजें हैं, उनका स्वामी 2.अज्मत - (i) बड़प्पन, महानता , अहमीयत,

(ii) सम्मान, आदर, इज्जत
 

 

*****

सभी कुछ तो रहा है इस तरक्की के जमाने में,
मगर यह क्या गजब है आदमी इंसाँ नहीं होता।

-खुमार बाराबंकवी

*****

हजारों नग्मा -ए- दिलकश मुझे आता है ऐ बुलबुल,
मगर दुनिया की हालत देखकर चुप हो गया हूँ मैं।

-आसी उल्दानी
 

*****

 

हम अपने दिल के मुकामात से हैं बेगाने,
इसी में वरना हरम है, इसी में बुतखाने।

-शाद अजीमाबादी


1.मुकामात - स्थान, जगह, ठहरने का स्थान, घर, मकान 2. बेगाना- अपरिचित, अनजान 3.हरम - काबा, खुदा का घर

4. बुतखाना – मंदिर, मूर्तिगृह,


*****

                 

<< Previous  page - 1-2-3-4-5-6-7-8-9-10-11-12-13-14-15-16-17-18-                                                               19  Next >>