शेर-ओ-शायरी

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चलने को चल रहा हूँ मगर इसकी खबर नहीं,
मैं हूँ सफर में या मेरी मंजिल सफर में है।

-शमीम राँचवी
 

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जब इश्क हो अपनी धुन में रवाँ

बे-खौफो-खतर मंजिल की तरफ
वह राह की मुश्किल क्या जाने

वह दूरिए-मंजिल क्या जाने।
-जगन्नाथ 'आजाद'


1.रवाँ - प्रवाहित, बहता हुआ 2. बे-खौफो-खतर - बिना भय और डर

 

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जहाँ खुद खिज्रे-मंजिल, राहे-मंजिल भूल जाता है,
हमें आता है उन पुरपेच राहों से गुजर जाना।

-अब्र एहसनी


1.खिज्रे-मंजिल - मंजिल का रास्ता दिखाने वाला, मार्गदर्शक, पथप्रदर्शक, रहनुमा 2. पुरपेच - टेढ़ा-मेढ़ा, जटिल, पेचीदा

 

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जिन्दगी का जब उन्वान बदल जाता है,
किसी मंजिल पै हो इन्सान बदल जाता है।
तंगदस्ती भी बुरी माल की कसरत भी बुरी,
इन्हीं दो चीजों से ईमान बदल जाता है।


1.उन्वान- शीर्षक, शैली 2.तंगदस्ती- गरीबी, निर्धनता, कंगाली, हाथ खाली होना 3.कसरत- अधिकता, बहुतायत, बाहुल्य, प्राचुर्य, इफरात
 

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