शेर-ओ-शायरी

अमीर मीनाई  (Amir Minai)  Next >>

 आइने में हर अदा को देखकर कहते हैं वो,
 
आज देखा जाइए, किस-किस की है आई हुई।
 

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इलाही क्या कयामत है कि जब वो लेते हैं अंगड़ाई,
 
  मेरे सीने में सब जख्मों के टाँकें टूट जाते हैं।

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  घबरा न हिज्र में बहुत ऐ जाने-मुज्तरिब,
 
थोड़ी-सी रह गयी है, उसे भी गुजार दे।

 
1.हिज्र - वियोग, विरह, जुदाई  2.जाने-मुज्तरिब - बेकरार या व्याकुल जान
 

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छनता है नूर आरिजे-गुलगूं से इस कदर,
 
हो जाती है सफेद भी उनकी निकाब सुर्ख।

 1.
नूर - आभा, रौशनी 2.आरिजे-गुलगूं - गुलाबी गाल 3. निकाब - मुखावरण, मुखपट, बुर्का, ओट, पर्दा 4. सुर्ख - लाल रंग, लाल रँगा हुआ
 

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