आइने में हर अदा को देखकर कहते हैं वो,
आज
देखा जाइए,
किस-किस की है आई हुई।
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इलाही
क्या कयामत है कि जब वो लेते हैं अंगड़ाई,
मेरे
सीने में सब जख्मों के टाँकें टूट जाते हैं।
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घबरा
न हिज्र में बहुत ऐ जाने-मुज्तरिब,
थोड़ी-सी रह गयी है,
उसे भी गुजार दे।
1.हिज्र
-
वियोग,
विरह,
जुदाई
2.जाने-मुज्तरिब -
बेकरार
या व्याकुल जान
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छनता है नूर आरिजे-गुलगूं से इस कदर,
हो जाती है सफेद भी उनकी निकाब सुर्ख।
1.नूर
-
आभा,
रौशनी
2.आरिजे-गुलगूं
-
गुलाबी
गाल
3.
निकाब -
मुखावरण,
मुखपट,
बुर्का,
ओट,
पर्दा
4.
सुर्ख -
लाल रंग,
लाल रँगा हुआ
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