शेर-ओ-शायरी

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या तो है देखने में नजर का कुसूर,
या कुछ बदल गया है जमाने का हाल अब।
 

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वह कुछ मुस्कुराना, वह कुछ झेंप जाना,
 जवानी अदाएं सिखाती है क्या-क्या।
 

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हमें पीने से मतलब है जगह की कैद क्या 'बेखुद'
उसी का नाम काबा रख दिया, बोतल जहा रख दी।
 

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हर चीज पै बहार थी, हर शै में हुस्न था,
दुनिया जवान थी मेरे अहदे - शबाब में।

1.
शै - चीज 2.अहदे-शबाब - युवावस्था का समय , यौवन का समय

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