शेर-ओ-शायरी

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रहबरो-रहजन यही दो आफतें थीं राह की,
राहरौ दो आफतों के दर्मियाँ मारा गया।
-अब्दुल हमीद 'अदम'


1.राहरौ - राहगीर, पथिक, मुसाफिर

 

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वक्ते-पीरी दोस्तों की बेरूखी का क्या गिला,
बच के चलता है हर इक गिरती हुई दीवार से।


1. वक्ते-पीरी - बुढ़ापा
 

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वफा के नाम पर तुम क्यों संभल के बैठ गये,
तुम्हारी बात नहीं, बात है जमाने की।
-'मजरूह' सुल्तानपुरी

 

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