शेर-ओ-शायरी

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बदनसीबी का मैं कायल तो नहीं मगर,
मैंने बरसात में जलते हुए घर देखे हैं।

 

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मुझे जख्म ही मिले हैं मैं जहाँ-जहाँ गया हूँ,
कभी दुश्मनी के बदले कभी दोस्ती के बदले।


यह मेरी किस्मत कि नजरों में तुम्हारी हेच हैं,
वर्ना यह जिन्से-वफा इतनी तो कमकीमत न थी।

-आनन्द नारायण 'मुल्ला'


1. हेच - (i) तुच्छ (ii) व्यर्थ, बेकार 2. जिन्स - वस्तु, चीज

 

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ये ताइराने-चमन किस तरह से हों दिलशाद
कदम - कदम पै ही तकदीर इनकी फूट गई
रिहा हुए कफस से तो आशियाना गुम था
जो आशियाना बनाया तो शाख टूट गई।

1. ताइराने-चमन - चमन के पंछी 2. दिलशाद - खुश, प्रसन्न 3. कफस - पिंजड़ा

 

लगता नहीं है दिल मेरा उजड़े दयार में,
किसकी बनी है आलमे-नापाइदार में।
कह दो इन हसरतों को कहींऔर जाबसें,
इतनी जगह कहाँ है दिले-दागदार में।
उम्रे-दराज माँगकर लाये थे चार -दिन,
दो आरजू में कट गये, दो इन्तिजार में।
कितना है बदनसीब 'जफर' दफ्न के लिये,
दो गज जमीं भी न मिली कू-ए-यार में।

-बहादुरशाह 'जफर'


1.दयार- स्थान, जगह। 2.आलमे-नापाइदार- नश्वर दुनिया, मृत्यु लोक।
2.हसरत - (i) अभिलाषा, मनोकामना, आकांक्षा (ii) निराशा, नाउम्मेदी। 3.दिले-दागदार- नाकाम हसरतों से भरा दिल।
4.दराज- लंबी, तवील। 5.कू-ए-यार- यार या प्रेयसी की गली।

 

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