याँ जमीं पै था जिनका दबदबा,
कि बुलन्द अर्श पै नाम था।
उन्हें यूँ फलक ने मिटा दिया,
कि मजार तक का निशाँ नहीं।
-चकबस्त लखनवी
1.अर्श - आकाश, आसमान 2. फलक -
आकाश, आसमान
*****
वक्त सौ मुंसिफों
का मुंसिफ है,
वक्त आयेगा, इन्तिजार करो।
1.मुंसिफ -
न्यायकर्ता, इंसाफ करने वाला
*****
वह दिन हवा हुए
जब पसीना गुलाब था,
अब इत्र भी मलो तो खुशबू नहीं आती।
-माधोराम 'जौहर'
1. इत्र - सुगंध, खुशबू, पुष्पसार
*****
वह नाजुक वक्त आ गया आखिरकार,
कि हर अब रंग तबियत पर गराँ है।
'नातिक' लखनवी
1.गराँ-भारी, वज्नी।
*****
<< Previous page - 1-2-3-4-5-6-7-8-9-10-11-12-13 Next >>