शेर-ओ-शायरी

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याँ जमीं पै था जिनका दबदबा,
कि बुलन्द अर्श पै नाम था।
उन्हें यूँ फलक ने मिटा दिया,
कि मजार तक का निशाँ नहीं।

-चकबस्त लखनवी


1.अर्श - आकाश, आसमान 2. फलक - आकाश, आसमान

 

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वक्त सौ मुंसिफों का मुंसिफ है,
वक्त आयेगा, इन्तिजार करो।


1.मुंसिफ - न्यायकर्ता, इंसाफ करने वाला


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वह दिन हवा हुए जब पसीना गुलाब था,
अब इत्र भी मलो तो खुशबू नहीं आती।
-माधोराम 'जौहर'


1. इत्र - सुगंध, खुशबू, पुष्पसार

 

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वह नाजुक वक्त आ गया आखिरकार,
कि हर अब रंग तबियत पर गराँ है।
'नातिक' लखनवी


1.गराँ-भारी, वज्नी।

 

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