शेर-ओ-शायरी

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सिर्फ इक कदम उठा था गलत राहे-शौक में,
मंजिल तमाम उम्र मुझे ढूंढ़ती रही।

-अब्दुल हमीद अदम

 

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सुनते हैं कि कांटों से गुल तक हैं राह में लाखों वीराने,
कहता है मगर यह अज्मे-जुनूं सहरा से गुलिस्तां दूर नहीं।

-अख्तर-उल-इमाम


1.अज्मे-जुनूं - दृढ़ संकल्प या पक्के इरादे का जुनून 2. सहरा - वन, जंगल, चटयल मैदान, बियाबन, मरूस्थल

3. गुलिस्तां - उद्यान, बाग, वाटिका, उपवन
 

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सुर्खरू होता है इन्सां ठोकरें खाने के बाद
रंग लाती है हिना पत्थर पर घिस जाने के बाद


1.सुर्खरू - सम्मानित, सफल, कामयाब
2.हिना - मेंहदी

 

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हजार नाकामियाँ हों 'नश्तर'

हजार गुमराहियाँ हों लेकिन,
तलाशे-मंजिल है अगर दिल से,

तो एक दिन लाजिमी मिलेगी।
-हरगोविंद दयाल 'नश्तर'

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