वह
अपनी खू न छोड़ेंगे, हम अपनी वज्अ क्यों बदलें,
सुबकसर बन के क्या पूछें कि हम से सरगराँ क्यों हो।
-मिर्जा गालिब
1.खू - आदत, स्वभाव 2.वज्अ -
शैली, ढंग
3. सुबकसर - सर नीचे करके, सर झुका कर
4.सरगराँ - नाराज, नाखुश, अप्रसन्न
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वह अपने
दर के फकीरों से पूछते भी नही,
कि लगाये हुए किसकी आस बैठे हो।
-तअश्शुक
1. दर - दरवाज, द्वार
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वह मेरे
सामने बैठे हुए हैं,
मगर यह फासिला भी कम नहीं।
-बाकी सिद्दीकी
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