शेर-ओ-शायरी

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वह अपनी खू न छोड़ेंगे, हम अपनी वज्अ क्यों बदलें,
सुबकसर बन के क्या पूछें कि हम से सरगराँ क्यों हो।

-मिर्जा गालिब

1.खू - आदत, स्वभाव 2.वज्अ - शैली, ढंग
3. सुबकसर - सर नीचे करके, सर झुका कर
4.सरगराँ - नाराज, नाखुश, अप्रसन्न

 

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वह अपने दर के फकीरों से पूछते भी नही,
कि लगाये हुए किसकी आस बैठे हो।

-तअश्शुक

1. दर - दरवाज, द्वार

 

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वह मेरे सामने बैठे हुए हैं,
मगर यह फासिला भी कम नहीं।

-बाकी सिद्दीकी

 

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