कई इन्किलाबात
आये जहाँ में,
मगर आज तक दिन न बदले हमारे।
-'रजा' हमदानी
1.इन्किलाबात - परिवर्तन, बदलाव
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कभी गुलशन में रहते थे, कफस में अब
गुजरती है,
खता सैयाद की क्या है, हमारा आबो-दाना है।
1.कफस -
पिंजड़ा 2. सैयाद - बहेलिया,
चिड़ीमार
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कभी बिजली, कभी गुलचीं, कभी सैयाद की नजरें,
गुजरगाहे-हवादिस था, हमारा आशियाँ क्या था।
-'शौकत' थानवी
1.गुलचीं
- फूल तोड़ने वाला, माली
2. सैयाद
- बहेलिया, चिड़ीमार
3. गुजरगाह
- निकलने-पैठने का स्थान, मार्ग, रास्ता, पंथ
4. हवादिस
- दुर्घटनाएं (हादसा का बहुबचन )
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कभी-कभी वहाँ
किस्मत ही काम आती है,
जहाँ किसी के सहारे नजर नहीं आते।
-फलक देहलवी
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