कुछ लोग हैं कि वक्त के साँचे में ढल गये,
कुछ लोग हैं कि वक्त के साँचे बदल गये।
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कुछ समझकर ही हुआ हूँ मौजे-दरिया का
हरीफ,
वरना मैं भी जानता हूँ आफियत साहिल में है।
-वहशत कलकतवी
1.हरीफ
– प्रतिद्वंद्वी, जिससे मुकाबला हो
2. आफियत - सुकून, सुख, चैन, आराम 3. साहिल - किनारा
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क्यों किसी रहबर से पुछूं अपनी मंजिल का
पता,
मौजे-दरिया खुद लगा लेती है साहिल का पता।
-'आर्जू' लखनवी
1. रहबर
- पथप्रदर्शक, रास्ता दिखाने वाला
2. साहिल
- तट, किनारा
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खताओं पर खताएं हो रही थी नावकअफगन से,
इधर तीरों से बनता जा रहा था आशियाँ अपना।
1. खताओं
- गलतियाँ
2. नावकअफगन
- तीर चलाने वाला, तीरंदाज
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