शेर-ओ-शायरी

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कुछ लोग हैं कि वक्त के साँचे में ढल गये,
कुछ लोग हैं कि वक्त के साँचे बदल गये।

 

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कुछ समझकर ही हुआ हूँ मौजे-दरिया का हरीफ,
वरना मैं भी जानता हूँ आफियत साहिल में है।

-वहशत कलकतवी


1.हरीफ – प्रतिद्वंद्वी, जिससे मुकाबला हो

2. आफियत - सुकून, सुख, चैन, आराम 3. साहिल - किनारा

 

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क्यों किसी रहबर से पुछूं अपनी मंजिल का पता,
मौजे-दरिया खुद लगा लेती है साहिल का पता।

-'आर्जू' लखनवी


1. रहबर - पथप्रदर्शक, रास्ता दिखाने वाला 2. साहिल - तट, किनारा

 

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खताओं पर खताएं हो रही थी नावकअफगन से,
इधर तीरों से बनता जा रहा था आशियाँ अपना।


1. खताओं - गलतियाँ 2. नावकअफगन - तीर चलाने वाला, तीरंदाज
 

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