शेर-ओ-शायरी

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मैं हंसता हूँ मगर ऐ दोस्त अक्सर हंसने वाले भी,
छुपाए होते हैं दाग और नासूर अपने सीनों में।

-अख्तर अंसारी


1.नासूर - एक प्रकार का घाव जो हमेशा रिसता रहता है और

कभी अच्छा नहीं होता


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मैंने हर गम को खुशी में ढाला है,

मेरा हर इक रंग निराला है।
लोग जिन हादिसों में मरते हैं,
मुझको उन हादिसों ने पाला है।

-नरेश कुमार 'शाद'

 

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मौत से क्यों इतनी दहशत, जान क्यों इतनी अजीज,
मौत आने के लिये है, जान जाने के लिये है।


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यह और बात है कि मैं शिकायत न कर सकूँ,
लेकिन तेरी निगाह को पहचानता हूँ मैं।

नाजिश प्रतापगढ़ी

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