उसी लमहे को शायर यास की तकमील कहते
हैं,
मुहब्बत जब मिजाजे-आशिकी पै बार होती है।
-सागर निजामी
1.यास-नाउम्मेदी,निराशा
2.तकमील-पूर्ति, समाप्ति, पूर्णता
3. मिजाज-स्वभाव, आदत, गुण, प्रकृति,
तबिअत
4. आशिकी-चाहत,
इश्क, प्रेम 5.बार-बोझ, भार।
*****
एक महरूम चले 'मीर' हमीं इस दुनिया से,
वर्ना आलम को जमाने ने दिया क्या-क्या कुछ?
-मीरतकी 'मीर'
1.महरूम-(i) जिसे न मिला हो, (ii)
निराश, नाउम्मीद(iii) अभागा, बदकिस्मत
2. आलम- (i) जगत, संसार, दुनिया (ii)
दशा, हालत।
*****
एक
घड़ी, एक पल भी सुख का वक्त बहुत उस राही को,
जीवन जिसका बीत गया हो, कांटों पर चलते-चलते।
-अख्तर-उल ईमान
*****
एक मजबूर की तमन्ना क्या,
रोज जीती है, रोज मरती है।
-'अजीज' लखनवी
*****
<<
Previous
page
-1-2-3-4-5-6-7-8-9-10-11-12-13-14-15-16-17-18-19-20-21-22-23-24-25-26-27-28-29-30-31-32-33-34-35-36-37-38-39-40-41-42-43-44-45-46-47-48-49-50-51-52-53-54-55-56-57-58
Next >>