शेर-ओ-शायरी

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उसी लमहे को शायर यास की तकमील कहते हैं,
मुहब्बत जब मिजाजे-आशिकी पै बार होती है।

-सागर निजामी


1.यास-नाउम्मेदी,निराशा 2.तकमील-पूर्ति, समाप्ति, पूर्णता
3. मिजाज-स्वभाव, आदत, गुण, प्रकृति, तबिअत

4. आशिकी-चाहत, इश्क, प्रेम 5.बार-बोझ, भार।
 

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एक महरूम चले 'मीर' हमीं इस दुनिया से,
वर्ना आलम को जमाने ने दिया क्या-क्या कुछ?

-मीरतकी 'मीर'


1.महरूम-(i) जिसे न मिला हो, (ii) निराश, नाउम्मीद(iii) अभागा, बदकिस्मत
2. आलम- (i) जगत, संसार, दुनिया (ii) दशा, हालत।

 

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एक घड़ी, एक पल भी सुख का वक्त बहुत उस राही को,
जीवन जिसका बीत गया हो, कांटों पर चलते-चलते।

-अख्तर-उल ईमान
 

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एक मजबूर की तमन्ना क्या,
रोज जीती है, रोज मरती है।

-'अजीज' लखनवी
 

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