शेर-ओ-शायरी

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आधी से जियादा शबे-गम काट चुके हैं,
अब भी आ जाओ तो यह रात बड़ी है।

-साकिब लखनवी


1.शबे-गम - विरह की रात

 

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आने दो इल्तिफात में कुछ और भी कमी,
मानूस हो रहे हैं तुम्हारी जफा से हम।

-अर्श मल्सियानी


1.इल्तिफात - (i) प्यार, लगाव (ii) कृपा, दया, मेहरबानी (iii) तवज्जुह
2.मानूस - आसक्त, मुहब्बत करने वाला 3.जफा - सितम, अत्याचार

 

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आने में सदा देर लगाते ही रहे तुम,
जाते रहे हम जान से आते ही रहे तुम।
-रासिख अजीमाबादी

 

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आप पछताएं नहीं जौर से तौबा न करें,
आप के सर की कसम 'दाग' का हाल अच्छा है।
-मिर्जा दाग


1.जौर - जुल्मोसितम, अत्याचार 2.तौबा - किसी बुरे काम से बाज़ आने की प्रतिज्ञा, त्याग, तर्क, छोड़ देना

 

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